गंगा प्रसाद वर्मा वाक्य
उच्चारण: [ ganegaaa persaad vermaa ]
उदाहरण वाक्य
- इसका आयोजन गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल में हुआ।
- 2003 में बाबू गंगा प्रसाद वर्मा के बारे में किताब लिखते हुए शैलनाथ जी के मन में विचार उपजा-क्यों न छोटी-छोटी, सस्ती पुस्तकें निकाली जायें।
- यहां गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल अमीनाबाद में हुयी आपातकालीन बैठक में बिहार कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी और झारखण्ड के पूर्व एआईजी काशीनाथ को सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुन लिया गया।
- कासा, जनकेन्द्रित विकास महासमिति एवं लोक हकदारी मोर्चा उ 0 प्र 0 द्वारा शहीदेआजम भगत सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल सोसाइटी हाल में “ ग्रामीणों की आजीविका के सन्दर्भ में मनरेगाःएक हकीकत ”
- उदाहरण के लिए लखनऊ का प्रसिद्ध खत्री परिवार गंगा प्रसाद वर्मा का है, जिनके नाम से अमीनाबाद में गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल और पुस्तकालय तथा धर्मशाला एवं अनेक संस्थाएं बनी हैं और जो आधुनिक लखनउफ के पूर्व निर्माता भी रहे हैं, वास्तव में पिहानी के टंडन खत्री हैं ।
- उदाहरण के लिए लखनऊ का प्रसिद्ध खत्री परिवार गंगा प्रसाद वर्मा का है, जिनके नाम से अमीनाबाद में गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल और पुस्तकालय तथा धर्मशाला एवं अनेक संस्थाएं बनी हैं और जो आधुनिक लखनउफ के पूर्व निर्माता भी रहे हैं, वास्तव में पिहानी के टंडन खत्री हैं ।
- उदाहरण के लिए लखनऊ का प्रसिद्ध खत्री परिवार गंगा प्रसाद वर्मा का है, जिनके नाम से अमीनाबाद में गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल और पुस् तकालय तथा धर्मशाला एवं अनेक संस् थाएं बनी हैं और जो आधुनिक लखनउफ के पूर्व निर्माता भी रहे हैं, वास् तव में पिहानी के टंडन खत्री हैं ।
- उदाहरण के लिए लखनऊ का प्रसिद्ध खत्री परिवार गंगा प्रसाद वर्मा का है, जिनके नाम से अमीनाबाद में गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल और पुस् तकालय तथा धर्मशाला एवं अनेक संस् थाएं बनी हैं और जो आधुनिक लखनउफ के पूर्व निर्माता भी रहे हैं, वास् तव में पिहानी के टंडन खत्री हैं ।
- लखनऊ में कांग्रेस के कितने अधिवेशन हुए? पहला कहां हुआ? कांग्रेस का एक अध्यक्ष भी हुआ यहां का, पर कोई नाम नहीं बता पायेगा उसका? 2003 में बाबू गंगा प्रसाद वर्मा के बारे में किताब लिखते हुए शैलनाथ जी के मन में विचार उपजा-क्यों न छोटी-छोटी, सस्ती पुस्तकें निकाली जायें।
- जिन अन्य भारतीयों ने इस संस्था की स्थापना में सहयोग किया, उनमें सर्वश्री महादेव गोविंद रानाडे (सन् 1842-1904), उमेश चंद्र बनर्जी, दादाभाई नवरोजी 3 (सन् 1825-1917), फिरोज शाह मेहता (सन् 1825-1915), रघुनाथ राव, गंगा प्रसाद वर्मा, मुंशी नवल किशोर 4 (सन् 1836-1895) आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
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